लुधियाना सेंट्रल जेल से एक बार फिर चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
जेल के अंदर चल रही ड्रग सप्लाई की कड़ी को तोड़ते हुए पुलिस ने बुधवार को मेडिकल विंग के दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। इसमें एक मेडिकल ऑफिसर और एक TB टेक्नीशियन शामिल हैं, जो कथित तौर पर कैदियों को ड्रग्स पहुंचाने के बदले उनके परिजनों से ऑनलाइन पेमेंट लेते थे।
गिरफ्तारी के बाद मेडिकल टीम के कई सदस्य गायब
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान डॉ. प्रिंस और टेक्नीशियन जसपाल शर्मा के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि दोनों की गिरफ्तारी जैसे ही हुई, जेल के मेडिकल विभाग का आधा स्टाफ अचानक फरार हो गया। पुलिस इस कोण की भी जांच कर रही है कि क्या मेडिकल टीम के और सदस्य इस नेटवर्क का हिस्सा थे।
जानें कैसे पकड़ा गया रैकेट?
जांच अधिकारी ASI दिनेश कुमार के अनुसार, 27 अक्टूबर को जेल परिसर की नियमित चेकिंग के दौरान कैदियों के पास से 117 ड्रग कैप्सूल और तीन मोबाइल फ़ोन मिले थे। इसके बाद डिप्टी सुपरिटेंडेंट जगजीत सिंह की शिकायत पर NDPS एक्ट और प्रिज़न्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया।
पहले चरण में पुलिस ने पाँच कैदियों- रवि कुमार, अमनदीप कुमार, अजय कुमार, उबैद मसीह और गुलशन को गिरफ्तार किया। पूछताछ में इन कैदियों ने खुलासा किया कि मेडिकल ऑफिसर और टेक्नीशियन उनसे मिलकर जेल के भीतर ड्रग सप्लाई चेन चला रहे थे।
पुलिस ने दोनों पर सर्विलांस लगाने के बाद बुधवार को कार्रवाई करते हुए उन्हें दबोच लिया। जांच में पता चला कि ये आरोपी कैदियों के परिवारों से UPI ऐप के ज़रिए पैसे वसूलते थे, और कभी-कभी इलाज के बहाने कैदियों को सिविल अस्पताल रेफर कर अतिरिक्त रकम ऐंठते थे। उनके बैंक खातों में संदिग्ध लेनदेन भी मिले हैं।
पहले भी जेल स्टाफ गिरफ्तार हो चुके हैं
लुधियाना सेंट्रल जेल में ड्रग सप्लाई की यह पहली घटना नहीं है।
17 जनवरी, 2024 को असिस्टेंट जेल सुपरिटेंडेंट गगनदीप शर्मा और सतनाम सिंह को इसी तरह के रैकेट में गिरफ्तार किया गया था।
12 नवंबर को लाधोवाल थाने में तैनात एक ASI 1 किलो तंबाकू लेकर जेल में घुसने की कोशिश में पकड़ाया था।
29 अक्टूबर को 3rd IRB के एक ASI से जेल के अंदर ड्रग्स और तंबाकू ले जाते समय 10 ग्राम पाउडर, 325 ग्राम तंबाकू और 6 पाउच बरामद किए गए थे।
11 अक्टूबर को एक LED टीवी के फ्रेम में छिपाकर ड्रग्स लाने का मामला उजागर हुआ था। इस पूरे गेम का मास्टरमाइंड एक सीनियर जेल अधिकारी निकला, जो रिटायरमेंट के क़रीब था।
जांच अभी जारी, और नाम सामने आने की उम्मीद
पुलिस का कहना है कि शुरुआती जांच में कई अहम सुराग मिले हैं और संभावना है कि इस नेटवर्क में और भी जेल कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। बैंक लेनदेन, कॉल रिकॉर्ड और CCTV फुटेज की मदद से मामले को आगे बढ़ाया जा रहा है।