Saturday, December 6, 2025
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RBI ने बैकों को दिया 1.5 लाख करोड़ का बूस्टर डोज, अब बाजार में होगा पैसा ही पैसा

RBI ने बाजार में पैसा बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया है

भारतीय रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की बड़ी कटौती करके इसे 5.25% कर दिया है. फरवरी 2025 से अब तक कुल 125 बेसिस पॉइंट की कमी की जा चुकी है. यह फैसला पूरी तरह सर्वसम्मति से हुआ, यानी मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी के सभी छह सदस्यों ने ब्याज दर घटाने के पक्ष में वोट किया.
RBI गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में महंगाई तेजी से नीचे आई है और अब यह केंद्रीय बैंक के तय आरामदायक दायरे से भी कम हो चुकी है. दूसरी तरफ देश की आर्थिक वृद्धि मजबूत बनी हुई है. महंगाई कम और ग्रोथ तेज होने का यह संयोजन केंद्रीय बैंक को पॉलिसी को नरम करने का मौका देता है. इसी वजह से रेपो रेट घटाने के साथ-साथ RBI ने बाजारों में नकदी बढ़ाने के दो बड़े उपायों का ऐलान किया है.

बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए RBI की बड़ी चाल

इस बार RBI ने सिस्टम में पैसे की उपलब्धता आसान बनाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदने और साथ ही 4,50,000 करोड़ रुपए के फॉरेक्स स्वैप की घोषणा की है. इन दोनों कदमों का उद्देश्य यह है कि बैंकों के पास पर्याप्त नकदी रहे, ताकि दरों में कटौती का फायदा जल्दी और पूरी तरह ग्राहकों तक पहुंच सके. जब बैंकिंग सिस्टम में पैसा अधिक होता है तो लोन सस्ते होते हैं, नई फंडिंग बढ़ती है और कंपनियों-घरों दोनों को राहत मिलती है.

RBI डॉलर-रुपया स्वैप क्यों कर रहा है?

फॉरेक्स स्वैप एक ऐसा तरीका है जिसमें RBI बिना दीर्घकालिक असर डाले सिस्टम में रुपये की आपूर्ति बढ़ा सकता है. इस स्वैप के तहत RBI अभी डॉलर बेचेगा और रुपये बैंकिंग सिस्टम में डाल देगा. बाद में तय समय पर RBI वापस डॉलर खरीद लेगा. इस प्रक्रिया से बाजार में अस्थाई रूप से भारी लिक्विडिटी आती है, लेकिन दीर्घकाल में रुपये का प्रवाह बिना बढ़ाए RBI अक्सर इससे बाजार को स्थिर करता है.
यह कदम खासकर ऐसे समय में उपयोगी है जब रुपये पर दबाव होता है. हाल ही में रुपये ने 90.42 के रिकॉर्ड निचले स्तर को छुआ था. हालांकि तुरंत बाद सरकारी और विदेशी बैंकों की ओर से डॉलर बेचने के कारण थोड़ी रिकवरी दिखी, लेकिन अधिकांश विशेषज्ञ अब भी मानते हैं कि रुपया कमजोर रुझान में बना हुआ है. ऐसे में डॉलर-रुपया स्वैप रुपये को सहारा देने का काम करता है और अचानक होने वाली गिरावट को रोकने में मदद करता है.

GDP डेटा और बाजारों की सावधानी

पॉलिसी मीटिंग से पहले भारत के उम्मीद से मजबूत GDP आंकड़ों ने ट्रेडर्स को सतर्क कर दिया था. कई ट्रेडर पहले ही यह दांव लगा चुके थे कि RBI दरों में कटौती करेगा और रुपये का 90 के पार जाना इस आशंका को और मजबूत कर गया था. इसलिए RBI की पॉलिसी का असर स्पॉट मार्केट के साथ-साथ फॉरवर्ड मार्केट में भी दिखा. हाल के दिनों में डॉलर-रुपया फॉरवर्ड प्रीमियम में तेज उछाल आया है, जो आगे लिक्विडिटी में कमी की उम्मीद को दर्शाता है.

बॉन्ड और स्टॉक मार्केट की प्रतिक्रिया

RBI की घोषणाओं के बाद बॉन्ड मार्केट ने तुरंत सकारात्मक प्रतिक्रिया दी. 10 साल की सरकारी बॉन्ड यील्ड गिरकर 6.51% पर आ गई. हालांकि इक्विटी बाजार पूरी तरह शांत रहा और निफ्टी 50 में बड़े बदलाव देखने को नहीं मिले. इससे साफ है कि फिलहाल बाजार की नजर रुपये और लिक्विडिटी की स्थिति पर ज्यादा टिकी है.
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