पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अमृतपाल सिंह को इस सत्र में भाग लेने का अनुरोध किया गया था।
असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तान समर्थक और खडूर साहिब के सांसद अमृतपाल सिंह पर तीसरी बार लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) को अब हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। परिवार ने इसके लिए तैयारियां कर ली हैं।
परिवार का कहना है कि अमृतपाल सिंह को साजिश के तहत जेल से बाहर नहीं आने दिया जा रहा है। अमृतपाल सिंह की बढ़ती लोकप्रियता से सभी पार्टियां चिंतित हैं। एनएसए को उनके सभी सहयोगियों से हटा दिया गया है। इन सभी को पिछले महीने पंजाब लाया गया था। अब उनके खिलाफ कानूनी मामले चल रहे हैं।
उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को बड़े अंतर से हराकर चुनाव जीता।
परिवार का कहना है कि एक बार अमृतपाल को जेल में डाल दो। अब जेल के अंदर बैठे व्यक्ति पर तरह-तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह सरकार को बताना चाहते हैं कि ऐसी स्थिति में उन्हें जेल में रखने से क्या फायदा है। ये बातें बहुत असंवैधानिक हैं। उन्होंने कहा कि वह बहुत खतरनाक है। अगर वह जेल से बाहर आ गया तो बहुत नुकसान होगा। जबकि वह पूरे पंजाब में सबसे अधिक वोटों से चुनाव जीते थे।
परिवार ने कहा कि वे किसी और के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक दलों के लिए खतरा हैं। उनकी राजनीतिक जमीन खिसक रही है। इसीलिए वे इस तरह की ज़मीन तैयार कर रहे हैं। इस बीच, अमृतपाल के वकील अमृतपाल ने कहा कि मामला चाहे कहीं से भी शुरू हुआ हो, लेकिन अब यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला बन गया है।
अमृतपाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है।
अमृतपाल पर खालिस्तान समर्थक गतिविधियों का आरोप है। वह 2023 में अजनाला थाने का घेराव कर अपने साथी पप्पलप्रीत सिंह के साथ फरार हो गया था। कई दिनों बाद जब उसे मोगा के रोडेको गांव से गिरफ्तार किया गया तो उसे असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया और उस पर व उसके साथियों पर एनएसए लगा दिया गया। हालांकि उनके सभी सहयोगियों से एनएसए हटा लिया गया है और वे पंजाब भी लौट आए हैं, लेकिन अमृतपाल पर तीसरी बार एनएसए लगाया गया है और वह अभी भी डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं।