‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर एक विशेष और लंबी चर्चा होने की संभावना है।
लोकसभा में इस हफ्ते के आखिर में ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर एक विशेष और लंबी चर्चा होने की संभावना है। इस चर्चा में सांसद आज़ादी की लड़ाई में इस गीत की भूमिका, आज के दौर में इसकी अहमियत और भारत की सांस्कृतिक विरासत जैसे विषयों पर अपने विचार साझा कर सकेंगे। खबरों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बहस में हिस्सा ले सकते हैं, जिससे यह चर्चा सत्र का खास आकर्षण बन सकती है।
एक वरिष्ठ सांसद ने बताया कि यह बहस संसद के शीतकालीन सत्र की सबसे महत्वपूर्ण चर्चाओं में से एक हो सकती है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम ने आज़ादी की लड़ाई और देश निर्माण में कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है, और यह भारत की राष्ट्रीय पहचान का मजबूत प्रतीक रहा है। सूत्रों के अनुसार, इस विषय पर करीब 10 घंटे तक चर्चा हो सकती है।
वंदे मातरम के 150 साल पूरे
वंदे मातरम, जिसका अर्थ है “मां, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं”, 7 नवंबर 2025 को अपने 150 साल पूरे कर चुका है। इसे बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था। यह पहली बार 7 नवंबर 1875 को साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में प्रकाशित हुआ। बाद में इसे 1882 में प्रकाशित उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया गया। रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे सुरबद्ध किया। यह गीत आज़ादी के आंदोलन के दौरान भारतीयों के लिए एक प्रेरक शक्ति बना और आज भी यह भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
PM मोदी ने शुरू किया सालभर चलने वाला कार्यक्रम
7 नवंबर को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर सालभर चलने वाले कार्यक्रमों की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा वंदे मातरम सिर्फ़ एक शब्द नहीं, यह एक मंत्र और ऊर्जा है। यह मां भारती के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह गीत भारतीयों को उनके इतिहास से जोड़ता है और भविष्य के लिए आत्मविश्वास बढ़ाता है। PM मोदी ने यह भी बताया कि हजारों लोगों द्वारा एक साथ वंदे मातरम गाना एक अद्भुत और रोमांचक अनुभव था।
संसद का शीतकालीन सत्र जारी
संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो चुका है और 19 दिसंबर तक चलेगा। वंदे मातरम पर होने वाली यह विशेष चर्चा इस सत्र की मुख्य आकर्षणों में से एक हो सकती है।